काला पीलिया
खून में बिलीरुबिन तत्व मात्रा अधिक होने की वजह से पीलिया रोग हो सकता है। यह लाल रक्त कोशिकाओं में पाया जाता हैं। बिलीरुबिन की मात्रा अधिक होने पर यह शरीर के उत्तकों में पहुंच जाता है। इस रोग में स्किन, नाखून और आंखों का सफेद भाग पीला नजर आने लगता है, इस स्थिति को पीलिया या जॉन्डिस कहते हैं।
खून में बिलीरुबिन तत्व मात्रा अधिक होने की वजह से पीलिया रोग हो सकता है। यह लाल रक्त कोशिकाओं में पाया जाता हैं। बिलीरुबिन की मात्रा अधिक होने पर यह शरीर के उत्तकों में पहुंच जाता है। इस रोग में स्किन, नाखून और आंखों का सफेद भाग पीला नजर आने लगता है, इस स्थिति को पीलिया या जॉन्डिस कहते हैं।
काला पीलिया होने के मुख्य कारण जो हम सभी को जानना बेहद आवश्यक है-
1 . गन्दा पानी पीने से
2. अपच होने से
3. लीवर में गर्मी का बढ़ जाना
4. भूख का कम लगना
5. कई दिन तक लगातार जवर (बुखार ) होना और लीवर का काम करना बंद कर देना
6. खाया पीया न पचना
ये सब मुख्य कारण है जिससे काला पीलिया माना जाता है, आईये अब इसके मुख्य लक्षणों के बारे में जान लेते है।
मुख्य लक्षण -
1. भूख कम लगना , इसमें रोगी को भूख बहुत काम लगती है
2. खाने के बाद उलटी का लगना
3. खून बनना बंद हो जाना
4. शरीर के अंगों में थकावट का महसूस होना , जैसे - हाथ और पैरों में ज्यादातर थकान का महसूस होना
5. शरीर में सुस्ती का बढ़ जाना
6. पेशाब का पीला हो जाना
7. नाख़ून का पीला हो जाना
8. आँखों में पीलापन हो जाना
काला पीलिया और पीला पीलिया में मुख्य अंतर क्या होता है इसका जानना बेहद आवश्यक है , क्योंकि जब तक हमे अच्छे से दोनों के बारे में पता नहीं लग जाता हम अच्छे से घरेलु उपचार नहीं ले सकते , आइये जानते हैं-
काला पीलिया - जिस रोगी को खाने के बाद उलटी होती है तो उस रोगी को काला पीलिया होता है
पीला पीलिया - जिस रोगी को खाने के बाद उलटी नहीं लगती उसको पीला पीलिया है
हम आपको बता दे वैसे तो दोनों प्रकार के पीलिये में ऊपर बताये गए सभी कारण और लक्षण होते है लेकिन काला पीलिया में रोगी को उलटी लगनी शुरू हो जाती है ये मुख्य अंतर होता है दोनों में।
काला पीलिया का घरेलु उपचार -
आक , आखा या मदार के पेड़ से 4 -5 खिले हुए फ़ूल ले लेने है , उनके अंदर की डोडी (फ़ूल के अंदर का गोल वाला हिस्सा ) को लेना है और अपने हाथ की हथेली पर अच्छे से रगड़ लेना है , उसके बाद उसमे 1 चम्मच देशी खांड मिला कर सुबह खाली पेट सेवन करना है।


दवा रोगी को किस तरह से लेनी है -
1. शुरुआती स्थिति में - 3 दिन
2. बीच की स्थिती में - 5 दिन
3. ज्यादा स्थिति में - 10 दिन
काला पीलिया होने पर रोगी को दवा के सेवन के दौरान कोन कोन से फरहेजों का पालन करना है , आइये जानते है -
1. सब तरह की चिकनाई
2. सब तरह का नशा जैसे - बीड़ी, सिगरेट, हुक्का, पान, तम्बाकू, गुटका और जर्दा आदि
3. लाल मिर्च
4. तला हुआ
5. मिठाई
6. नॉनवेज
ऊपर बताये गए सभी चीजों की खाने पीने की सख्त मनाही है।
चीजें खा सकते है -
1. मिस्सी रोटी
2. भुना हुआ चना
3. लस्सी और गन्ने का ताजा रस बराबर मात्रा में दिन में 2 बार ले सकते है
4. लौकी (घीया )
5. तोरई और मूंग की दाल इन सब चीजों का सेवन रोगी दवा लेने के दौरान कर सकता है।
नोट - 1. सुबह खाली पेट दवा के सेवन के बाद रोगी 1 घंटे तक कुछ न खाये पीये , ऐसा करने से दवा का असर बहुत जल्दी होता है जिससे रोगी को जल्दी ठीक होने में मदद मिलती है।
2. जितने दिन तक रोगी दवा का सेवन करे , उसे घर पर रहकर आराम करना है , ज्यादा घूमने फिरने से बचना है।
मैंने अपने पहले पोस्ट में पीला पीलिया के बारे में लिखा था , उसका लिंक मै निचे दे रहा हू। अगर किसी को ये दवा लेनी है तो निर्देशों का पालन करके ही ले अन्यथा दवा काम नहीं करेगी क्यूंकि ये सब घरेलु उपचार आयुर्वेद के ग्रंथों से लिए गए है जिसमे रोगी को पूरणतया फरहेजों का पालन करना होता है।
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दवा या इससे सम्बंधित कोई भी परामर्श अगर है तो मुझसे सम्पर्क कर सकते है , मेरा email निचे पोस्ट कर रहा हूं।
https://myhealthtips1512.blogspot.com
emai - sharma.nitin593@gmail.com
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